October 2024

कौषीतकि उपनिषद् बनाम वेदांत: क्या ब्रह्म अन्यायी है ?

कौषीतकी उपनिषद के एक श्लोक में वर्णित है:“एष ह्येवैनं साधुकर्म कारयति तं यमेभ्यो लोकेभ्यो उन्निनीषत एष उ एवैनमसाधु कर्म कारयति तं यमधो निनीषते।” (अध्याय 3 मन्त्र 9) इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म उस व्यक्ति से शुभ कर्म कराते हैं जिसे वे ऊर्ध्व लोकों की ओर उन्नति कराना चाहते हैं, और वही ब्रह्म उस व्यक्ति […]

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आर्य समाज का चौंकाने वाला खुलासा: स्वामी दयानन्द सरस्वती ने किया मूर्ति पूजा का समर्थन

स्वामी दयानंद सरस्वती, जिन्होंने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की, अपने एकेश्वरवाद के समर्थन और मूर्ति पूजा के विरोध के लिए जाने जाते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य वैदिक धर्म के शुद्ध रूप में पुनरुत्थान करना था। स्वामी दयानंद के अनुसार, हिंदू धर्म में समय के साथ कई भ्रष्टाचार और अधार्मिक प्रथाएं समाहित हो गईं,

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विज्ञान ने आखिरकार धर्म को माना – शोध पत्रों से प्रमाण

आजकल के कुछ आलोचक कहते हैं कि धर्म विज्ञान के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चल पा रहा है और यह पुरानी धारणाओं में जकड़ा हुआ है। लेकिन, क्या यह सच है? क्या वाकई में धर्म, विज्ञान से पीछे रह गया है? इस ब्लॉग पोस्ट में हम तथ्यों और 21वीं सदी की शोधपत्रों एवं

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