भारतीय संस्कृति और धर्म का इतिहास अनगिनत ग्रंथों और पुराणों से सुसज्जित है। इन ग्रंथों में हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य का गहरा ज्ञान छिपा हुआ है। लेकिन यह दुखद है कि समय के साथ-साथ इनमें से कई श्लोक खो गए हैं, और उनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। इस ब्लॉग में, हम नारद, ब्रह्मवैवर्त और कूर्म पुराण के खोए हुए ज्ञान पर चर्चा करेंगे और इन महान ग्रंथों की महत्ता पर प्रकाश डालेंगे।
इस विषय में हमारा यह वीडियो द्रष्टव्य है –
पुराणों का महत्व
पुराण हिंदू धर्म की आत्मा हैं। ये सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि एक प्रकार के ज्ञानकोश (encyclopaedia) हैं जो हमारे जीवन के हर पहलू को कवर करते हैं — ब्रह्मांड की उत्पत्ति, धर्म, दर्शन, इतिहास, विज्ञान, खगोलशास्त्र, और मानव मनोविज्ञान। पुराणों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये वेदों के गहन और जटिल ज्ञान को साधारण कहानियों और सरल शब्दों में प्रस्तुत करते हैं।
पुराणों में न केवल वैदिक ज्ञान का सार है, बल्कि ये समाज को नैतिक मूल्यों, जीवन जीने के सिद्धांत, और ईश्वर के प्रति समर्पण का मार्ग दिखाते हैं। इनकी शिक्षा न केवल तत्कालीन समाज के लिए थी, बल्कि ये शाश्वत हैं और हर युग में प्रासंगिक हैं।
सोचिए, जो ग्रंथ हजारों सालों तक हमारी संस्कृति की धरोहर बने रहे, उनकी उपेक्षा आज उनकी मृत्यु का कारण बन रही है। क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि हम उन्हें बचाएं?
नारद पुराण: हमने क्या खो दिया ?
नारद पुराण मुख्यतः भक्तियोग पर आधारित है। इसमें चारों युगों के धर्म, तप, और भक्ति का वर्णन मिलता है। यह पुराण यह सिखाता है कि भक्ति के माध्यम से भगवान तक कैसे पहुंचा जा सकता है।
इस पर गीताप्रेस के अतिरिक्त तरीनीश झा और एस एन खंडेलवाल की टीका, जो चौखम्भा से प्रकाशित होती है, उपलब्ध है | इन सबका डाऊनलोड लिंक हमने अंत में उपलब्ध कराया है ताकि आप स्वयं इन विषयों को उसमें देख सकें |



लेकिन क्या आप जानते हैं कि नारद पुराण के कई श्लोक आज विलुप्त हो चुके हैं?
दरअसल कई पुराणों में अन्य पुराणों के सन्दर्भों की चर्चा भी आयी है | उदाहरणस्वरूप – मत्स्य पुराण के तिरपनवें अध्याय में अन्य पुराणों का संक्षिप्त विवरण मिलता है | इसमें कहा गया है कि नारद पुराण के वक्त नारद जी हैं और इसमें पच्चीस हजार श्लोक हैं |

लेकिन आजकल के उपलब्ध नारद पुराण में केवल अट्ठारह हजार के करीब श्लोक मिलते हैं | इतना ही नहीं आजकल जो नारद पुराण उपलब्ध होता है उसके वक्ता भी नारदजी नहीं हैं | सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर उन सात हजार श्लोकों में कौन सा ऐसा ज्ञान था जो आज उपलब्ध नहीं है ?
विशेष रूप से, इसमें वर्णित कई रहस्यमयी मंत्र और यज्ञ के विवरण आज हमारे लिए अज्ञात हैं। इन श्लोकों का अर्थ समझने में विद्वान भी असमर्थ रहे हैं।


जैसा कि आप देख पा रहे हैं – इसमें उपासना के लिए मन्त्रों का निर्देश तो है लेकिन वो मन्त्र हैं कौन ये आज कोई भी नहीं जानता है | समय की धारा में यह ज्ञान खो गया !
क्या यह संभव है कि इन खोए हुए श्लोकों में हमारे समय की जटिल समस्याओं के समाधान छिपे हों?
यह विडंबना है कि जो ग्रंथ एक समय में मार्गदर्शन का स्तंभ थे, वे आज हमारी उपेक्षा के कारण अज्ञात हो गए हैं। क्या यह हमारी सांस्कृतिक हार नहीं है?
खास बिंदु:
- नारद पुराण भक्ति मार्ग को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है।
- इसमें गणित, ज्योतिष और अन्य शास्त्रों के भी कई महत्त्वपूर्ण विषय आये हैं |
ब्रह्मवैवर्त पुराण: सृष्टि और प्रकृति का रहस्य
ब्रह्मवैवर्त पुराण चार खंडों में विभाजित है: ब्रह्म खंड, प्रकृति खंड, गणपति खंड, और श्रीकृष्ण जन्म खंड। यह पुराण सृष्टि की उत्पत्ति, प्रकृति के स्वरूप, और भगवान कृष्ण की दिव्यता का विस्तारपूर्वक वर्णन करता है।
इसपर गीताप्रेस से तो संक्षिप्त संस्करण प्रकाशित होता है | लेकिन चौखम्बा और तरिणीश झा के सम्पूर्ण अनुवाद भी उपलब्ध होते हैं जो हमने अंत में आपको उपलब्ध करवाया है |



लेकिन इस पुराण में भी कई ऐसे श्लोक हैं जो समय के साथ लुप्त हो गए हैं। दरअसल ब्रह्म वैवर्त पुराण के कृष्ण जन्म खंड के अंतिम अध्याय में इसके श्लोकों की संख्या अठारह हजार बताई गयी है | आज के उपलब्ध ब्रह्म वैवर्त पुराण में अट्ठारह हजार से अधिक श्लोक प्राप्त होते हैं |

लेकिन स्मृतिचन्द्रिका, हेमाद्रि आदि कुछ ग्रंथों में ब्रह्म वैवर्त पुराण के करीब पंद्रह सौ श्लोक उद्धृत किये गए हैं | उनमें से प्रचलित ब्रह्म वैवर्त पुराण में केवल श्लोक मिलते हैं | इससे जान पड़ता है कि ब्रह्म वैवर्त पुराण के कई श्लोक खो गए और कई श्लोक बाद में जोड़ दिए गए | जिन अध्यायों में वे श्लोक आये थे उनमें और भी ज्ञान के क्या सामग्री थे ये आज कोई नहीं जानता !
जरा सोचें – क्या यह ज्ञान इसलिए खो गया क्योंकि हमने इसे सहेजने का प्रयास ही नहीं किया?
महत्त्वपूर्ण पहलू:
- यह पुराण भगवान कृष्ण की महिमा और उनकी लीलाओं का गहन वर्णन करता है।
- इसमें राधा जी का चरित्र भी विस्तार से वर्णित है जो अन्यत्र दुर्लभ है |
- इसमें प्रकृति के तत्वों और उनके प्रभाव का विस्तृत अध्ययन मिलता है।
कूर्म पुराण: विष्णु के कूर्म अवतार की कथा
कूर्म पुराण भगवान विष्णु के कूर्म अवतार पर आधारित है। इसमें सृष्टि की रचना, धर्म के नियम, और विभिन्न युगों के धर्म की व्याख्या की गई है। यह पुराण हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण प्रदान करता है।
इस कूर्म पुराण पर चौखम्बा के अतिरिक्त गीताप्रेस से भी एक सम्पूर्ण टीका प्रकाशित होती है | कुछ और टीकाएं भी उपलब्ध होती हैं |


इस पुराण में भी कई ऐसे श्लोक हैं जो खो गए हैं । ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार इसमें सत्रह हजार श्लोक हुआ करते थे-

हैरानी की बात ये है कि वर्तमान में उपलब्ध कूर्म पुराण में केवल छह हजार श्लोक उपलब्ध होते हैं | इसका अर्थ है कि इसके ग्यारह हजार श्लोक अब लुप्त हो चुके हैं |
इतना ही नहीं इस कूर्म पुराण में एक ऐसा विषय आया है जो आज तक के गीता के सारी टीकाओं को चुनौती देता है | वह विषय हम किसी अन्य लेख में उद्धृत करेंगे |
“क्या यह विडंबना नहीं है कि हमने अपने शास्त्रों को पढ़ने और समझने के बजाय उनका मज़ाक बनाया? यही कारण है कि वे हमारे हाथों से फिसल गए।”
खास बातें:
- कूर्म पुराण में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष — इन चारों पुरुषार्थों का विस्तार मिलता है।
- इसमें ब्रह्मांडीय शक्तियों और उनके संतुलन का वर्णन किया गया है।
खोए हुए श्लोक और अज्ञात मंत्र
इन तीनों पुराणों में अनेक ऐसे श्लोक और मंत्र हैं जिनका अर्थ आज तक कोई नहीं समझ पाया। इन मंत्रों में प्रकृति, खगोलशास्त्र, और अध्यात्म के ऐसे रहस्य छिपे हो सकते हैं जो हमारी आधुनिक समस्याओं के समाधान के लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं।
जो संस्कृति कभी पूरे विश्व को ज्ञान देती थी, वह आज अपनी धरोहर को बचाने में असफल क्यों हो रही है? इसका उत्तर हमें अपने भीतर खोजना होगा।
यह सवाल भी उठता है कि अगर हम अपने शास्त्रों और पुराणों की उपेक्षा करना बंद कर देते, तो क्या ये श्लोक आज हमारे पास सुरक्षित होते? क्या हमारी आधुनिक पीढ़ी उन रहस्यों को जान पाती, जो इन ग्रंथों में छिपे थे?
पुराणों की उपेक्षा: खतरनाक परिणाम
पुराण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, वे हमारी संस्कृति और ज्ञान की जड़ें हैं। इनकी उपेक्षा करना केवल अपनी धरोहर को नष्ट करना नहीं है, बल्कि अपने भविष्य को अंधकारमय बनाना है। जो ज्ञान इन ग्रंथों में छिपा है, वह न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि वैज्ञानिक और व्यावहारिक भी है।
एक सभ्यता तब नहीं हारती जब उसे बाहरी ताकतें मिटाती हैं, बल्कि तब हारती है जब वह खुद अपनी जड़ों को भूल जाती है।
अगर हम इन्हें पढ़ने और संरक्षित करने का प्रयास नहीं करते, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें यह कहकर दोष देंगी कि हमने अपनी धरोहर को संभालने के लिए कुछ नहीं किया।
नि:शुल्क पीडीएफ डाउनलोड करें
हमारा उद्देश्य है कि ये ग्रंथ सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हों। नीचे दिए गए लिंक से आप इन महान पुराणों पर उपलब्ध विभिन्न टीकाओं के पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं:
निष्कर्ष
हमारे शास्त्र और पुराण सिर्फ इतिहास नहीं हैं, वे हमारी पहचान और मार्गदर्शन का स्रोत हैं। यह समय है कि हम अपनी जड़ों की ओर लौटें, इन ग्रंथों को पढ़ें, समझें, और उन्हें संरक्षित करें।
क्या आप तैयार हैं उस खोए हुए ज्ञान को फिर से खोजने के लिए? यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने शास्त्रों को सहेजें, वरना हमारी पहचान भी खो जाएगी।
याद रखें – जो अपनी धरोहर को भूल जाता है, वह अपना भविष्य भी खो देता है!