भूमिका: क्या तथाकथित “बुद्धिजीवी” सच बोल रहे हैं?
आजकल कुछ तथाकथित “बुद्धिजीवी” और “नव-बौद्ध” यह दावा करते हैं कि वेदों में सरस्वती केवल एक नदी थी और हिंदुओं ने बाद में इसे देवी के रूप में बौद्ध धर्म से “चुरा” लिया। क्या यह सच है? या फिर यह इतिहास को तोड़-मरोड़कर हिंदू परंपरा पर झूठा आरोप लगाने की एक साज़िश है? आइए हम वेदों और शतपथ ब्राह्मण से प्रमाणों को देखते हैं और तथ्यों की रोशनी में इन झूठों को ध्वस्त करते हैं।
इस विषय में हमारा यह वीडियो द्रष्टव्य है –
वेदों में सरस्वती: केवल नदी या देवी?
भाग 1: हाँ, सरस्वती को नदी के रूप में याद किया गया है, लेकिन क्या इतना ही सच है?
तथाकथित “बुद्धिजीवी” अक्सर केवल ऋग्वेद 10.75 (नदी सूक्त) को उद्धृत करते हैं, जहाँ सरस्वती को एक नदी के रूप में वर्णित किया गया है:
इमं मे गंगे यमुने सरस्वति।” (ऋग्वेद 10.75.5)
हाँ, इसमें कोई शक नहीं कि ऋग्वेद में सरस्वती को एक पवित्र नदी के रूप में उल्लेखित किया गया है। लेकिन क्या वेदों में केवल इतना ही कहा गया है? क्या सरस्वती को एक देवी के रूप में नहीं पूजा गया? क्या तथाकथित “बुद्धिजीवियों” ने बाकी के मंत्रों को जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया? अब देखते हैं पूरी सच्चाई।
भाग 2: ऋग्वेद में सरस्वती केवल नदी नहीं, बल्कि देवी भी हैं!
ऋग्वेद में ही कई स्थानों पर सरस्वती को देवी के रूप में स्पष्ट रूप से संबोधित किया गया है। आइए देखते हैं:

ऋग्वेद 2/41/16
यहाँ सरस्वती को “सबसे श्रेष्ठ माता, सबसे उत्तम नदी और सबसे महान देवी” कहा गया है।
ऋग्वेद के दूसरे मंडल का हरिशरण सिद्धांतालंकार द्वारा किया गया भाष्य यहाँ से डाऊनलोड करें –


ऋग्वेद 6.61.2
यहाँ सरस्वती को अविद्या का विनाश करनेवाली बताया गया है।
ऋग्वेद के छठे मंडल का हरिशरण सिद्धांतालंकार द्वारा किया गया भाष्य यहाँ से डाऊनलोड करें –


ऋग्वेद 10.17.7
यहाँ सरस्वती को “देवी” कहा गया है, न कि केवल नदी।
ऋग्वेद के दसवें मंडल का हरिशरण सिद्धांतालंकार द्वारा किया गया भाष्य यहाँ से डाऊनलोड करें –

अब इन झूठे तर्कवादियों से पूछा जाए: अगर सरस्वती केवल नदी थी, तो फिर वेदों में उन्हें देवी क्यों कहा गया?
शतपथ ब्राह्मण में सरस्वती: वाणी की देवी
भाग 3: शतपथ ब्राह्मण में सरस्वती का उल्लेख देवी के रूप में!
यदि कोई यह कहे कि केवल वेदों में सरस्वती को देवी कहा गया है और आगे चलकर उनका महत्व कम हो गया, तो हम उसे शतपथ ब्राह्मण के प्रमाण दिखाएंगे:


शतपथ ब्राह्मण 3/1/4/9, भाग 1, पृष्ठ 343
शतपथ ब्राह्मण, जो कि यजुर्वेद का हिस्सा है, पर तीन खण्डों में गंगा प्रसाद उपाध्याय की टीका उपलब्ध होती है | उसके पहले खंड एक पृष्ठ में यह आया है | उसे आप यहाँ से डाऊनलोड कर सकते हैं –

भाग 4: मूर्तियों का भ्रामक तर्क
छद्म बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरस्वती की जो सबसे प्राचीन मूर्ती मिलती है वह बौद्धों की है जो तिब्बत आदि में मिलती है |

अगर मूर्तियों की प्राचीनता ही किसी के अस्तित्व का सबूत है तब तो फिर भगवान् बुद्ध की भी उनके समय की 2500 साल पुरानी मूर्ती नहीं मिलती | जो सबसे प्राचीन मूर्ती मिलती है वह दूसरी या तीसरी शताब्दी की मिलती है | क्या इसका अर्थ है कि उससे पहले भगवान् बुद्ध का कोई अस्तित्व नहीं था ? अथवा बौद्धों ने इसा मसीह के बाद बौद्ध धर्म कहीं से चुरा लिया ? और फिर तो इसका यह भी अर्थ हुआ कि भगवान् बुद्ध ने साक्षात सरस्वती से शिक्षा प्राप्त की होगी !
दरअसल प्राचीन काल में यज्ञों का अधिक प्रचलन होने के कारण प्राचीन हिन्दू मूर्तियां नहीं मिलती | इसके अतिरिक्त सनातनी सदैव धर्म के प्रेमी थे, इतिहास लिखने और शिलालेख लिखने के नहीं | अशोक का शिलालेख उसके प्रोपेगंडा का एक हिस्सा था !
भाग 5: तथाकथित “बुद्धिजीवी” और उनकी छंटाक भर ज्ञान!
अब यहाँ एक गंभीर प्रश्न उठता है – अगर वेदों और शतपथ ब्राह्मण में स्पष्ट रूप से सरस्वती को देवी कहा गया है, तो तथाकथित नव-बौद्ध और तर्कवादी क्यों झूठ फैला रहे हैं?
➡️ क्या ये जानबूझकर वेदों की अधूरी व्याख्या कर रहे हैं?
➡️ क्या यह हिंदू धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार करने की सोची-समझी चाल है?
➡️ या फिर यह सिर्फ अज्ञान और सेलेक्टिव रीडिंग का परिणाम है?
अगर आप इनके झूठे तर्कों को देखें, तो पाएंगे कि ये लोग सिर्फ वही उद्धरण चुनते हैं, जो उनके एजेंडा को सही ठहराए, और बाकी सभी प्रमाणों को छिपा देते हैं। यह बौद्धिक बेईमानी नहीं तो और क्या है?
निष्कर्ष: हिंदू धर्म की सत्यता प्रमाणों पर आधारित है!
यह पूरी बहस हमें एक ही निष्कर्ष पर लाती है: ✅ सरस्वती को वेदों में केवल नदी नहीं, बल्कि देवी के रूप में पूजा गया है।
✅ शतपथ ब्राह्मण में सरस्वती को ज्ञान और बुद्धि की देवी कहा गया है।
✅ तथाकथित नव-बौद्ध और “बुद्धिजीवी” आधे-अधूरे तथ्य पेश करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
अब यह तय आपको करना है – आप वेदों और शास्त्रों को मानेंगे या उन लोगों को, जो बिना पढ़े हिंदू धर्म पर झूठे आरोप लगाते हैं?
सत्यमेव जयते! 🚩