नियो-बौद्ध (Neo-Buddhists) जो अपनी सुविधानुसार बौद्ध धर्म की व्याख्या करते हैं, अक्सर यह दावा करते हैं कि बुद्ध ने भूत-प्रेतों या अदृश्य आत्मिक शक्तियों के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया था। उनकी समस्या यह है कि वे केवल वही चीज़ मानते हैं जो उनकी ‘मॉडर्न’ और ‘वैज्ञानिक’ छवि के अनुकूल बैठती हो, बाकी को या तो वज्रयान या हिंदू प्रभाव कहकर खारिज कर देते हैं।
लेकिन जो असली बौद्ध ग्रंथों को पढ़ता है, वह जानता है कि बुद्ध ने न केवल भूत-प्रेतों के अस्तित्व को स्वीकार किया था, बल्कि उनके बारे में विस्तार से चर्चा भी की थी। और मज़ेदार बात यह है कि यह प्रमाण किसी “तांत्रिक बौद्ध ग्रंथ” से नहीं, बल्कि उन्हीं तिपिटक ग्रंथों से आते हैं जिन्हें नियो-बौद्ध “ओरिजिनल” मानने का दावा करते हैं!
तो चलिए, इन आधुनिक झूठों की पोल खोलते हैं और बौद्ध ग्रंथों के प्रमाण देखते हैं।
इस विषय में हमारा यह वीडियो द्रष्टव्य है –
प्रमाण 1: चण्ड महारोषन तंत्र – भूत प्रेत का वर्णन
पहला प्रमाण चण्ड महारोषन तंत्र से है | इसके बारहवें पटल में भूत प्रेत आदि का वर्णन है | ग्रहों और अप्सराओं का भी वर्णन है !



प्रमाण 2: अट्टानातिय सुत्त (दीघ निकाय, 32) – भूत-प्रेतों से रक्षा के सूत्र
अट्टानातिय सुत्त में चार देव – धृतराष्ट्र, विरूढ़क, विरूपाक्ष और कुबेर – बुद्ध के पास आते हैं और उनसे राक्षसों और भूत-प्रेतों से बचने के लिए कुछ विशेष सूत्र (Protective Chants) भगवान् बुद्ध के सामने बोलते हैं।

बुद्ध सहमति देते हैं ।

दीघ निकाय पर राहुल सांकृत्यायन का अनुवाद आप यहाँ से डाऊनलोड कर सकते हैं –

अब नियो-बौद्धों से एक सवाल –
👉 अगर बुद्ध को भूत-प्रेतों में विश्वास नहीं था, तो उन्होंने भिक्षुओं की रक्षा के लिए यह सूत्र क्यों दिया? 😂
प्रमाण 3: दीघ निकाय – संगीति सुत्त
उपरोक्त दीघ निकाय में ही संगीति सुत्त भी आया है जहाँ नर्क और प्रेत योनि की चर्चा आयी है –


बुद्ध सारिपुत्त के कथन को सहमति देते हैं।
अब नियो-बौद्धों से एक सवाल –
👉 अगर बुद्ध को भूत-प्रेतों में विश्वास नहीं था, तो उन्होंने सारिपुत्त के कथन को सहमति क्यों प्रदान की? 😂
प्रमाण 4: अंगुत्तर निकाय – निब्बेधिक सुत्त
सुत्त पिटक के अंगुत्तर निकाय के छक्क निपात के महावग्ग में निब्बेधिक सुत्त आया है |

सुत्त पिटक के अंगुत्तर निकाय पर श्री द्वारिकादास शास्त्री की चार खण्डों में अनुवाद प्रकाशित है | उसके तीसरे खंड के पृष्ठ 151 पर यह निब्बेधिक सुत्त आया है जिसे आप यहाँ से डाऊनलोड कर सकते हैं –

प्रायः यही अनुवाद भदन्त आनंद कौशल्यायन ने भी किया है, जो कि बौद्ध धर्म के एक प्रामाणिक विद्वान् माने जाते हैं (जब तक उनका अनुवाद नव बौद्धों के अजेंडे के खिलाफ न चला जाए )-

सुत्त पिटक के अंगुत्तर निकाय पर भदन्त आनंद कौशल्यायन की चार खण्डों में अनुवाद प्रकाशित है | उसके तीसरे खंड के पृष्ठ 110-111 पर यह निब्बेधिक सुत्त आया है जिसे आप यहाँ से डाऊनलोड कर सकते हैं –

प्रमाण 5: पेतवत्थु (खुद्धक निकाय) – प्रेत योनि का खुला प्रमाण
पेतवत्थु (Petavatthu) ग्रंथ जो कि खुद्धक निकाय (Khuddaka Nikaya) का हिस्सा है, उसमें विस्तार से बताया गया है कि कुछ लोग मरने के बाद “प्रेत योनि” में जन्म लेते हैं।
👉 उदाहरण: एक प्रेत बुद्ध के पास आता है और उनसे अपनी दुर्दशा का वर्णन करता है। बुद्ध उसे समझाते हैं कि वह अपने पापों के कारण प्रेत योनि में आया है और वह पुनः जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
अरे, लेकिन नियो-बौद्धों के मुताबिक तो बुद्ध को भूत-प्रेतों में विश्वास ही नहीं था, फिर ये सब तिपिटक में क्या कर रहा है? 🤣
निष्कर्ष: नियो-बौद्धों का ढोंग उजागर!
✅ भूत-प्रेतों की चर्चा तिपिटक में स्पष्ट रूप से मौजूद है।
✅ बुद्ध ने स्वयं भिक्षुओं को राक्षसों और भूतों से बचने के लिए सूत्र दिए।
✅ विनय पिटक, सुत्त पिटक, और खुद्धक निकाय – हर जगह भूतों का वर्णन मिलता है।
✅ नियो-बौद्धों का “बुद्ध वैज्ञानिक थे और भूत-प्रेतों को नहीं मानते थे” वाला झूठ ध्वस्त हो गया!
सत्य यही है कि प्रायः सभी धर्म भौतिकवादी नहीं हैं | अब वैज्ञानिक भी भूत प्रेतों पर शोध कर रहे हैं और उनकी संभावना को इंकार नहीं किया जा सकता !
अब नियो-बौद्ध क्या करेंगे?
👉 या तो खुद तिपिटक को फर्जी घोषित कर देंगे, या फिर बहाने बनाएंगे कि “यह प्रतीकात्मक है”। 😂
तो अगली बार जब कोई नियो-बौद्ध आपसे कहे कि “बुद्ध ने भूतों में विश्वास नहीं किया,” तो इस लेख का लिंक भेज देना और पूछना –
“भाई, तिपिटक पढ़ी भी है या बस WhatsApp यूनिवर्सिटी से ज्ञान मिला है?” 😂
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