आर्य प्रशांत, जो स्वयं को “आधुनिक वेदांती” और “बुद्धिजीवी” के रूप में प्रचारित करते हैं, ने हाल ही में तंत्र और मंत्र को लेकर बेहद गैर-जिम्मेदाराना और तर्कहीन बयान दिए हैं। उनका यह कहना कि तंत्र और मंत्र केवल अंधविश्वास हैं और हत्या जैसे अपराधों का कारण बनते हैं, यह न केवल तथ्यों की अनदेखी करता है, बल्कि हिंदू धर्म और उसकी गहरी वैज्ञानिक परंपराओं पर सीधा हमला है।

तंत्र और मंत्र को समझने की योग्यता नहीं रखते आर्य प्रशांत
आर्य प्रशांत का सबसे बड़ा दोष यह है कि वे किसी भी ऐसे विषय पर बोलते हैं, जिसके लिए उनके पास न तो शास्त्रीय ज्ञान है, न ही कोई मान्यता प्राप्त डिग्री। तंत्र और मंत्र जैसे विषय केवल सतही समझ के लिए नहीं हैं। यह विषय हजारों सालों की गहन साधना, अनुसंधान और परंपराओं से जुड़े हैं।
जब आर्य प्रशांत तंत्र और मंत्र पर आरोप लगाते हैं, तो वे भूल जाते हैं कि उनके तर्क में न तो प्रमाणिकता है, न ही तार्किकता।
इस विषय में हमारा यह वीडियो द्रष्टव्य है –
जो भी विषय उन्हें समझ में नहीं आता उसे वह अन्धविश्वास कहके खारिज कर देते हैं अथवा यह कह देते हैं कि यह श्रुति अर्थात वेदों में नहीं था – बाद में स्मृतियों में जोड़ दिया गया | यह सरासर झूठ है | हम आपके साथ ‘वैदिक वांग्मय में अभिचार की रूपरेखा’ नामक ग्रन्थ यहां साझा कर रहे हैं | इसके रचयिता एक पीएचडी धारक हैं जिनका नाम है डा. आशारानी दीक्षित | इसमें उन्होंने प्रमाण के साथ बताया है की चारों वेदों में और और भी कई वैदिक ग्रंथों में तंत्र से सम्बंधित विषय आये हैं | इसलिए यह कहना कि यह हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं है अथवा बाद में स्मृतियों में जोड़ दिया गया था एक कोरी बकवास है |

विज्ञान और रसायनशास्त्र को भी उसी तर्क से दोषी ठहराना चाहिए
हाल के दिनों में अखबारों में कुछ खबरें आईं, जहां तथाकथित तांत्रिकों ने अपराध किए, जिसमें नाइट्राइट जैसे रसायनों का उपयोग किया गया। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हम पूरे रसायनशास्त्र या विज्ञान को दोषी ठहराएं?
- रसायन शास्त्र का दुरुपयोग आतंकवादी हमलों में भी हुआ है।
- साइंस के नाम पर जैविक हथियार (बायोलॉजिकल वेपन्स) बनाए गए हैं।
- साइबर क्राइम भी विज्ञान के ही उत्पाद हैं।
क्या इस आधार पर हम विज्ञान और रसायनशास्त्र को खारिज कर दें? बिल्कुल नहीं। यह दुरुपयोग का मामला है, न कि पूरे विज्ञान या तंत्र की प्रणाली का।
तंत्र और मंत्र की वैज्ञानिकता: अनुसंधान से मिले प्रमाण
आर्य प्रशांत की आलोचना केवल व्यक्तिगत विचारधारा से प्रेरित है। वे किसी भी प्रामाणिक अनुसंधान या वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला नहीं देते।
यहां तंत्र और मंत्र की वैज्ञानिकता के समर्थन में कुछ प्रमाण दिए गए हैं:
- मनः स्वास्थ्य पर और तनाव को कम करने में मंत्र का प्रभाव
मन्त्र से सम्बंधित शोधपत्र हमने यहां साझा किया है | इसके अलावा इसे आप हमारे इस वीडियो में भी देख सकते हैं :
2. तंत्र का मस्तिष्क पर प्रभाव
ये डा मेलिसा जेन्ट्री हैं | ये डॉक्टर भी हैं और तंत्र शिक्षिका भी हैं | इन्होने तंत्र पर आधारित एक चिकित्सा तकनीकी को पेटेंट करवाया है जिसे ये Tantra Mindfulness Therapy (TMT) कहती हैं|



Journal of Sexual Medicine में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि तांत्रिक ध्यान (Tantra Mindfulness Therapy) से मस्तिष्क के ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे भावनात्मक और मानसिक संतुलन बेहतर होता है।
तो अब न्यूरोसाइंस को भी तंत्र के प्रमाण मिल रहे हैं | लेकिन आपके ये स्वघोषित आचार्य हैं वो बिना किसी शोध के तंत्र को खारिज कर देते हैं |
आर्य प्रशांत का एजेंडा: हिंदू धर्म पर हमला
आर्य प्रशांत का एजेंडा स्पष्ट रूप से हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं को बदनाम करना है।
- उन्होंने तंत्र और मंत्र को अंधविश्वास कहकर भारतीय ज्ञान परंपरा का अपमान किया।
- वे धार्मिक पुस्तकों को जलाने जैसे बयान देकर सीधे धर्म का अपमान करते हैं।
हिंदू धर्म और तंत्र की रक्षा में खड़े हों
हमें यह समझना होगा कि तंत्र और मंत्र हमारी प्राचीन परंपराओं और विज्ञान का हिस्सा हैं। इन पर हमला, केवल व्यक्तिगत एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए नहीं सहा जा सकता।
आर्य प्रशांत जैसे लोग, जो किसी भी विषय में विशेषज्ञता नहीं रखते, हिंदू धर्म के विरुद्ध झूठे नैरेटिव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
निष्कर्ष
आर्य प्रशांत जैसे व्यक्तियों को यह समझना चाहिए कि धार्मिक परंपराएं और उनकी वैज्ञानिकता केवल तर्कों और व्यक्तिगत मतों से खारिज नहीं की जा सकती।
तंत्र और मंत्र को गलत साबित करने के लिए झूठे आरोप लगाना बंद करें। यह हमारी परंपराओं और धर्म का अपमान है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।