Author name: Shaastra

धिक्कार, गाली और समाधान? आर्य प्रशांत की जल दृष्टि का पोस्टमार्टम

🔰 प्रस्तावना — जब समाधान गाली में बदल जाए कुछ लोग समस्या का हल ढूंढते हैं, कुछ हल की आड़ में गुस्से का प्रवचन देते हैं। YouTube वीडियो “वॉटर क्राइसिस का कारण और समाधान (2024)” में आर्य प्रशांत ने पर्यावरण प्रेम के नाम पर इतना घृणित भाषण दिया, कि हम सोचने को मजबूर हो गए: […]

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Arya Prashant’s Marketing Drama vs My Berkeley Certificate

🔥 प्रस्तावना (Introduction) 📜आज के दौर में जब मार्केटिंग को ज्ञान का चोला पहनाया जा रहा है, सवाल उठाना आवश्यक हो गया है। जब स्वयंभू स्पष्टतावादी भ्रम फैलाने लगे,और विश्वविद्यालयों की गरिमा निजी प्रचार की भेंट चढ़ने लगे —तब प्रश्न उठाना केवल अधिकार नहीं, कर्तव्य बन जाता है। “आर्य प्रशांत” — एक स्वघोषित आचार्य जिन्होंने

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Ashoka के नाम पर भ्रम, Buddha के नाम पर ज़हर | Science Journey का एजेंडा?

🔥 प्रस्तावना: “इतिहास या तो स्मृति बनता है, या औजार।” आज कुछ यूट्यूब चैनल्स—विशेष रूप से Science Journey—अशोक और बुद्ध के नाम पर एक नये प्रकार का वैचारिक एजेंडा चला रहे हैं। एक तरफ, ये चैनल हिन्दू प्रतीकों और मान्यताओं का तिरस्कार करते हैं, वहीं दूसरी तरफ selectively वे ही बौद्ध ग्रंथों को संदर्भ में

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सब अंधविश्वासी, हम ही महान?: Babaji 2.0 का Ego Trap | Andhvishwas 2.0 – Ep 5

“मिलने की आरज़ू,न बिछड़ने का कुछ मलाल…हमको उस शख़्स से,मोहब्बत अजीब थी।” कभी-कभी हम किसी को इतना मान लेते हैं कि उसका हर शब्द सच लगने लगता है, और अपने ही रिश्ते—माँ, पिता, भाई, जीवनसाथी—झूठ और बंधन जैसे प्रतीत होने लगते हैं। इस एपिसोड में हम उस “Ego Trap” को उजागर करते हैं जो “Clarity”

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किनारा कर के रिश्तों से… Babaji 2.0 के जाल में | Andhvishwas 2.0 – Ep 4

❝तेरी पल भर की दिल लगी, मोहसिन…किसी को बर्बाद कर गई होगी…❞ प्रस्तावना: आज का भाग अंधविश्वास 2.0 शृंखला का सबसे भावनात्मक और सबसे गंभीर एपिसोड है। यह एपिसोड उन अदृश्य मानसिक प्रहारों को उजागर करता है, जो ‘क्लैरिटी’ के नाम पर लोगों को उनके अपनों से दूर कर रहे हैं — खासकर उनके माता-पिता

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बिना प्रमाण के Clarity : आधुनिक अंधश्रद्धा | Andhvishwas 2.0 – Ep 3

“तेरे लहजे में क्या नहीं था मगर…सिर्फ़ सच की ज़रा कमी निकली।” इसी पंक्ति से शुरू होता है Andhvishwas 2.0 का तीसरा भाग — जहाँ तथाकथित “क्लैरिटी” की आड़ में हो रहे मानसिक शोषण को शोध के आईने में देखा जाता है। यह वीडियो किसी पर सीधा आरोप नहीं लगाता। बल्कि एक-एक “संयोग” को दर्शाता

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बोध के नाम पर Game: Thinking Hijacked? | Andhvishwas 2.0 – Ep 2

प्रस्तावना: क्या ‘बोध’ भी एक भ्रम बन सकता है? क्या हो अगर कोई आपके दुख को ही आपकी योग्यता बता दे? क्या हो अगर आपके सवाल पूछने की क्षमता को ही “conditioning” कहकर खारिज कर दिया जाए?हम ऐसे ही एक विषय पर बात कर रहे हैं — बोध के नाम पर मानसिक नियंत्रण। इस विषय

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Andhvishwas 2.0 – एपिसोड 1 : स्पष्टता या नियंत्रण ?

एक मनोवैज्ञानिक जाँच 🧭 आज के युग में भ्रम घंटी और अगरबत्ती से नहीं आता —वो आता है स्पष्टता, तर्क और वैज्ञानिक आत्मविश्वास की भाषा में। बहुत बार हमें लगता है कि कोई हमें आज़ाद कर रहा है,जबकि वो चुपचाप हमारे सोचने का तरीका बदल रहा होता है। इस लेख में हम प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक Margaret

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IISc Bangalore – यह विज्ञान संस्थान है या गपोड़ी लाल अविद्या पीठ?

जब IISc जैसे संस्थान भी भ्रम बेचने लगें… कभी भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा के प्रतीक माने जाने वाले संस्थान — IISc Bangalore — आज एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहाँ उन्हें पुनः परिभाषित करने की ज़रूरत है। क्या आप सोच सकते हैं कि एक ऐसा संस्थान, जो विज्ञान और अनुसंधान की कसौटी पर खरा

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गाली गुरु दुबई में? आर्य प्रशांत के अधकचरे गाली विज्ञान का दुष्प्रभाव

सलीका सादगी सब आज़मा के यह समझ आया,बहुत नुकसान होता है अदब से पेश आने पर। दुनिया तरक्की कर रही है—दुबई में गगनचुंबी इमारतें बन रही हैं, लोग AI और न्यूरोसाइंस में रिसर्च कर रहे हैं, और उधर दुबई का सलीका, सादगी और सभ्यता से मन उठ गया है जो एक स्वघोषित आचार्य को बुला

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Outdated Science, Fake Acharya & Global Confusion: आर्य प्रशांत का 17वीं सदी वाला ‘ज्ञान’

📌 आर्य प्रशांत और उनकी कालबाह्य ‘साइंटिफिक’ समझ अगर आप भी सोचते हैं कि “T = 2π √(L/g)” का फॉर्मूला आज भी हर सवाल का उत्तर है, तो जनाब आप भी आर्य प्रशांत विश्वविद्यालय से पीएचडी ले चुके हैं! जिस युग में क्वांटम मैकेनिक्स, न्यूरोसाइंस और कॉस्मोलॉजी की दुनिया नए आयाम छू रही है, वहाँ

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मृत्यु के पार क्या है?: तीन प्रश्न जिन्होंने आत्मा की धारणा को हिला कर रख दिया

मनुष्य हजारों वर्षों से यह जानने का प्रयास करता रहा है कि वह वास्तव में कौन है। क्या हम केवल मांस, रक्त और तंत्रिका तंत्र से बने जैविक यंत्र हैं, या फिर हमारे भीतर कुछ ऐसा भी है जो इन सबसे परे है — एक चेतन सत्ता, एक “मैं” जो मृत्यु के बाद भी समाप्त

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अंध नकार के अंध भक्त: आर्य प्रशांत की खोखली तर्कशीलता!

कभी सोचा है कि दुनिया में सबसे बड़ा अंधविश्वास क्या है? नहीं, यह कोई धार्मिक मान्यता या परंपरा नहीं है। सबसे बड़ा अंधविश्वास वह है जब कोई खुद को ‘तर्कशील’ कहता है लेकिन तर्क के नाम पर सिर्फ अपनी मनगढ़ंत धारणाओं को थोपता है – बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के, बिना किसी रिसर्च के, बस

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क्या बुद्ध ने भूत-प्रेतों में विश्वास किया था? – नियो-बौद्धों का झूठ बौद्ध ग्रंथों की गवाही से ध्वस्त!

नियो-बौद्ध (Neo-Buddhists) जो अपनी सुविधानुसार बौद्ध धर्म की व्याख्या करते हैं, अक्सर यह दावा करते हैं कि बुद्ध ने भूत-प्रेतों या अदृश्य आत्मिक शक्तियों के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया था। उनकी समस्या यह है कि वे केवल वही चीज़ मानते हैं जो उनकी ‘मॉडर्न’ और ‘वैज्ञानिक’ छवि के अनुकूल बैठती हो, बाकी को या

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बुद्ध पुनर्जन्म को मानते थे: नव-बौद्धों की धूर्तता और झूठ का पर्दाफाश

भूमिका: नव-बौद्धों की चालाकी को उजागर करने का समय आ गया है! बौद्ध धर्म पर एक बड़ा झूठ फैलाया गया है कि “बुद्ध पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते थे।” यह दावा न केवल त्रुटिपूर्ण है बल्कि बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का मज़ाक उड़ाता है। और जो लोग इस झूठ को सबसे ज़्यादा फैलाते हैं,

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