आनुमानिकमप्येकेषामिति चेन्न शरीररूपकविन्यस्तगृहीतेर्दर्शयति च ॥ 1-4-1 ||
भूमिका
इस सूत्र को समझने से पहले कठोपनिषद के मंत्र 1/3/3-4 और 1/3/10-11 समझने आवश्यक हैं | अतएव उनका हिंदी अनुवाद और शांकरभाष्य का भी हिंदी अनुवाद यहाँ अविकल दिया जा रहा है :
गीताप्रेस (श्री हरिकृष्ण दास गोयन्दका कृत अनुवाद ):





उक्त मन्त्रों के शांकरभाष्य का अनुवाद गीताप्रेस से :





अब ब्रह्म सूत्र की ओर चलते हैं | पहले सामान्य अनुवाद गीता प्रेस से (श्री हरिकृष्ण दास गोयन्दका कृत ):
वेदांत दर्शन (गीताप्रेस)


अब शांकरभाष्य और सत्यानंदी दीपिका पढ़ें:
शांकरभाष्य और सत्यानंदी दीपिका







परन्तु इस विषय में आचार्य उदय वीर शास्त्री जी का मत भिन्न है | उनके विद्योदय भाष्य के अनुसार:
आचार्य उदयवीर शास्त्री कृत विद्योदय भाष्य







इस सूत्र पर श्री रामानुजाचार्य कृत श्री भाष्य:
श्री भाष्य








इस सूत्र पर श्री मध्वाचार्य कृत पूर्णप्रज्ञ भाष्य :
पूर्णप्रज्ञ भाष्य


इस सूत्र पर श्री वल्लभाचार्य कृत अणु भाष्य :
अणु भाष्य




इस सूत्र पर श्री बलदेव विद्याभूषण कृत श्री गोविन्द भाष्य:
श्री गोविन्द भाष्य











