विविध

Ashoka के नाम पर भ्रम, Buddha के नाम पर ज़हर | Science Journey का एजेंडा?

🔥 प्रस्तावना: “इतिहास या तो स्मृति बनता है, या औजार।” आज कुछ यूट्यूब चैनल्स—विशेष रूप से Science Journey—अशोक और बुद्ध के नाम पर एक नये प्रकार का वैचारिक एजेंडा चला रहे हैं। एक तरफ, ये चैनल हिन्दू प्रतीकों और मान्यताओं का तिरस्कार करते हैं, वहीं दूसरी तरफ selectively वे ही बौद्ध ग्रंथों को संदर्भ में […]

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मृत्यु के पार क्या है?: तीन प्रश्न जिन्होंने आत्मा की धारणा को हिला कर रख दिया

मनुष्य हजारों वर्षों से यह जानने का प्रयास करता रहा है कि वह वास्तव में कौन है। क्या हम केवल मांस, रक्त और तंत्रिका तंत्र से बने जैविक यंत्र हैं, या फिर हमारे भीतर कुछ ऐसा भी है जो इन सबसे परे है — एक चेतन सत्ता, एक “मैं” जो मृत्यु के बाद भी समाप्त

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क्या बुद्ध ने भूत-प्रेतों में विश्वास किया था? – नियो-बौद्धों का झूठ बौद्ध ग्रंथों की गवाही से ध्वस्त!

नियो-बौद्ध (Neo-Buddhists) जो अपनी सुविधानुसार बौद्ध धर्म की व्याख्या करते हैं, अक्सर यह दावा करते हैं कि बुद्ध ने भूत-प्रेतों या अदृश्य आत्मिक शक्तियों के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया था। उनकी समस्या यह है कि वे केवल वही चीज़ मानते हैं जो उनकी ‘मॉडर्न’ और ‘वैज्ञानिक’ छवि के अनुकूल बैठती हो, बाकी को या

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बुद्ध पुनर्जन्म को मानते थे: नव-बौद्धों की धूर्तता और झूठ का पर्दाफाश

भूमिका: नव-बौद्धों की चालाकी को उजागर करने का समय आ गया है! बौद्ध धर्म पर एक बड़ा झूठ फैलाया गया है कि “बुद्ध पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते थे।” यह दावा न केवल त्रुटिपूर्ण है बल्कि बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का मज़ाक उड़ाता है। और जो लोग इस झूठ को सबसे ज़्यादा फैलाते हैं,

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क्या हिंदू धर्म अनैतिक है? बौद्ध ग्रंथों में क्या लिखा है?

भूमिका: विवाद की पृष्ठभूमि हाल ही में रणवीर अल्लाहबादिया के विवादित बयान को लेकर एक नव-बौद्ध (Neo-Buddhist) यूट्यूबर ने हिंदू धर्म पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि हिंदू धर्म की शिक्षाएँ ही इस तरह की सोच को बढ़ावा देती हैं। अपने तर्क को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने महाभारत में ऋषि पराशर और

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भूत-प्रेत पर क्या कहता है विज्ञान ?

भूत-प्रेत और परलोक का विचार हमेशा से ही एक रहस्य और जिज्ञासा का विषय रहा है। जहां इसे कई लोग मात्र एक काल्पनिक अवधारणा मानते हैं, वहीं आधुनिक विज्ञान और शोध धीरे-धीरे इस दिशा में नई संभावनाओं की ओर इशारा कर रहे हैं। क्या यह संभव है कि भूत-प्रेत और परलोक जैसी चीजें सिर्फ मिथक

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मिथ्या प्रपंच का अंत: मित्तानी शिलालेख, वैदिक संस्कृति की प्राचीनता और संस्कृत विरोधियों की पोल खोल

प्रस्तावना: वैदिक संस्कृति पर षड्यंत्र क्यों? आज हम इतिहास के सबसे बड़े बौद्धिक षड्यंत्रों में से एक का पर्दाफाश करने जा रहे हैं—वह झूठ जो कहता है कि: ❌ संस्कृत 1000 ईस्वी के बाद बनी भाषा है!❌ वेदों की रचना मध्यकाल में हुई, वे प्राचीन नहीं हैं!❌ संस्कृत तब तक नहीं हो सकती जब तक

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प्रयाग: बौद्ध स्थल या सनातन तीर्थ? महाकुंभ को अंधविश्वास बताने वालों की साजिश का पर्दाफाश

भूमिका: कैसे पाखंडी बुद्धिजीवी प्रयाग और कुंभ स्नान को बदनाम कर रहे हैं? आजकल कुछ तथाकथित ‘बुद्धिजीवी’ प्रयागराज (प्रयाग) को बौद्ध स्थल बताने की कोशिश कर रहे हैं और महाकुंभ स्नान को अंधविश्वास करार दे रहे हैं। ये वही लोग हैं जो सनातन संस्कृति और परंपराओं पर झूठ फैलाते हैं, बिना किसी ऐतिहासिक प्रमाण के।

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क्या हिन्दुओं ने सरस्वती को बौद्धों से चुराया है ?

भूमिका: क्या तथाकथित “बुद्धिजीवी” सच बोल रहे हैं? आजकल कुछ तथाकथित “बुद्धिजीवी” और “नव-बौद्ध” यह दावा करते हैं कि वेदों में सरस्वती केवल एक नदी थी और हिंदुओं ने बाद में इसे देवी के रूप में बौद्ध धर्म से “चुरा” लिया। क्या यह सच है? या फिर यह इतिहास को तोड़-मरोड़कर हिंदू परंपरा पर झूठा

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आधुनिक विज्ञान और आत्मा का अस्तित्व: वैज्ञानिक अनुसंधान ने आलोचकों को किया बेनकाब!

आत्मा (Soul) को लेकर आलोचक सदियों से इसे केवल एक धार्मिक और दार्शनिक अवधारणा मानते आए हैं। वे कहते हैं कि आत्मा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, और यह केवल अंधविश्वास है। लेकिन क्या यह सच है? आधुनिक विज्ञान, विशेष रूप से क्वांटम भौतिकी, न्यूरोसाइंस, और गणितीय मॉडलिंग, आत्मा के अस्तित्व को पूरी तरह

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कूर्म पुराण ने भगवद गीता की सभी टीकाओं को चुनौती दी

क्या आपने कभी सोचा है कि जो सत्य हमें अब तक बताया गया है, क्या वह अंतिम सत्य है?क्या यह संभव है कि किसी शास्त्र की पारंपरिक व्याख्या के अलावा, कोई और भी गहरी, छुपी हुई व्याख्या हो जो अब तक नजरअंदाज की गई हो?क्या हो अगर मैं आपको बताऊँ कि भगवद गीता के एक

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पुराणों का खोया हुआ ज्ञान: नारद, ब्रह्मवैवर्त और कूर्म पुराण

भारतीय संस्कृति और धर्म का इतिहास अनगिनत ग्रंथों और पुराणों से सुसज्जित है। इन ग्रंथों में हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य का गहरा ज्ञान छिपा हुआ है। लेकिन यह दुखद है कि समय के साथ-साथ इनमें से कई श्लोक खो गए हैं, और उनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। इस ब्लॉग में, हम नारद, ब्रह्मवैवर्त

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पुनर्जन्म शोध और रहस्य का उद्घाटन: विज्ञान और अनुभवों की अनोखी कहानी

क्या होगा अगर मैं आपसे कहूं कि मृत्यु के बाद जीवन खत्म नहीं होता? कि किसी की चेतना मृत्यु के बाद भी जारी रह सकती है? यह सवाल जितना रहस्यमयी है, उतना ही रोमांचक भी। पुनर्जन्म का विषय सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक चर्चाओं तक सीमित नहीं है। दुनिया के कुछ वैज्ञानिकों ने इस गूढ़ रहस्य

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क्या विज्ञान आत्मा की ओर संकेत करता है?

आधुनिक विज्ञान और प्राचीन दर्शन के बीच का संवाद सदा से ही रोचक और चुनौतीपूर्ण रहा है। आत्मा, जिसे भारतीय दर्शन में “चेतना” या “आत्मिक सत्ता” कहा जाता है, आज भी विज्ञान के लिए एक रहस्य बनी हुई है। यह लेख उन वैज्ञानिक दृष्टिकोणों और शोधों को उजागर करता है, जो आत्मा के अस्तित्व की

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कौन अधिक प्राचीन है: हिंदू धर्म या बौद्ध धर्म?

त्रिपिटक के प्रमाणों से साजिश का पर्दाफाश आज के समय में कुछ प्लेटफ़ॉर्म्स और चैनल्स ने यह दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया है कि हिंदू धर्म 9वीं या 10वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया और इससे पहले केवल बौद्ध धर्म था। इस प्रकार की बातें न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती हैं, बल्कि

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