विविध

नेपाल से मिला सनसनीखेज़ प्रमाण : Science Journey का झूठ उजागर

🔥 1. Science Journey का सनसनीखेज़ दावा—क्या सच में व्यास बौद्ध थे? कुछ बातें इतनी चौंकाने वाली होती हैं कि पहली बार सुनकर दिमाग सुन्न-सा हो जाता है।आज भारत में एक नया ट्रेंड चल पड़ा है—इतिहास को उलट देना, ग्रंथों को बच्चों की कहानी की तरह लिख देना, और फिर उसे “science” या “research” का […]

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Chhath Hijacker Gang – छठ पर्व पर नव बौद्ध और स्वघोषित आचार्य का कब्ज़ा

🌑 भूमिका – नव बौद्धों और स्वघोषित आचार्य की नयी चाल आज एक नया ट्रेंड चल पड़ा है —नव बौद्ध यह फैला रहे हैं कि छठ बौद्ध पर्व है, जबकि आत्मघोषित “आचार्य” यह कह रहे हैं कि यह केवल पर्यावरण शुद्धि का पर्व है, और केवल पर्यावरण शुद्धि ही वास्तविक पूजा है।दोनों का मकसद एक

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नाग पंचमी का अपहरण: हिंदू त्यौहार पर बौद्ध दावा ?

🔥 प्रस्तावना: क्या है विवाद? आजकल कुछ नव-बौद्ध प्रचारकों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि “नाग पंचमी” कोई हिंदू पर्व नहीं है, बल्कि बौद्ध परंपरा से लिया गया है।उनका तर्क है कि: यह सुनने में एक बुद्धिजीवी विश्लेषण जैसा लगता है, लेकिन वास्तविकता इससे ठीक उलट है। ❌ इन दावों में कहाँ है

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Free Will की मौत? Pseudo Rationals का भंडाफोड़

🔥 प्रस्तावना आजकल इंटरनेट और यूट्यूब पर कुछ लोग खुद को “rational” या “scientific thinker” कहकर पेश करते हैं और बड़े आत्मविश्वास से 15 मिनट के वीडियो बनाकर घोषणा कर देते हैं कि “Free Will मर चुका है, मस्तिष्क पहले ही सब तय कर लेता है।” इन छद्म-तर्कवादियों (pseudo rationals) के पास न तो गहन

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Faith का मनोविज्ञान और Atheism का Psychological खेल

✍️भूमिका (Introduction) मानव जीवन का सबसे पुराना और गहन प्रश्न यही रहा है — “जब संसार में इतना दुःख, पीड़ा और अन्याय है तो फिर ईश्वर में विश्वास करने का क्या लाभ?”। नास्तिक इसी तर्क को बार-बार सामने रखकर कहते हैं कि यदि भगवान सचमुच होते, तो मनुष्य के जीवन में इतनी वेदना, रोग और

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नास्तिकता (Atheism) : तर्क की ओट में छिपा हुआ ज़ख़्म?

🌑 1. प्रस्तावना – जब निजी दर्द दर्शन बन जाता है “तुम भी सितम करोगे तो हासिल न होगा कुछ,इस दिल के आर-पार तो खंजर हज़ार हैं!” आज का यह पोस्ट ऐसे ही ज़ख्मों के बारे में है जो कई बार दर्शन का रूप ले लेता है | 👤 व्यक्तिगत पीड़ा से उपजी नास्तिकता अक्सर

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Ashoka के नाम पर भ्रम, Buddha के नाम पर ज़हर | Science Journey का एजेंडा?

🔥 प्रस्तावना: “इतिहास या तो स्मृति बनता है, या औजार।” आज कुछ यूट्यूब चैनल्स—विशेष रूप से Science Journey—अशोक और बुद्ध के नाम पर एक नये प्रकार का वैचारिक एजेंडा चला रहे हैं। एक तरफ, ये चैनल हिन्दू प्रतीकों और मान्यताओं का तिरस्कार करते हैं, वहीं दूसरी तरफ selectively वे ही बौद्ध ग्रंथों को संदर्भ में

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मृत्यु के पार क्या है?: तीन प्रश्न जिन्होंने आत्मा की धारणा को हिला कर रख दिया

मनुष्य हजारों वर्षों से यह जानने का प्रयास करता रहा है कि वह वास्तव में कौन है। क्या हम केवल मांस, रक्त और तंत्रिका तंत्र से बने जैविक यंत्र हैं, या फिर हमारे भीतर कुछ ऐसा भी है जो इन सबसे परे है — एक चेतन सत्ता, एक “मैं” जो मृत्यु के बाद भी समाप्त

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क्या बुद्ध ने भूत-प्रेतों में विश्वास किया था? – नियो-बौद्धों का झूठ बौद्ध ग्रंथों की गवाही से ध्वस्त!

नियो-बौद्ध (Neo-Buddhists) जो अपनी सुविधानुसार बौद्ध धर्म की व्याख्या करते हैं, अक्सर यह दावा करते हैं कि बुद्ध ने भूत-प्रेतों या अदृश्य आत्मिक शक्तियों के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया था। उनकी समस्या यह है कि वे केवल वही चीज़ मानते हैं जो उनकी ‘मॉडर्न’ और ‘वैज्ञानिक’ छवि के अनुकूल बैठती हो, बाकी को या

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बुद्ध पुनर्जन्म को मानते थे: नव-बौद्धों की धूर्तता और झूठ का पर्दाफाश

भूमिका: नव-बौद्धों की चालाकी को उजागर करने का समय आ गया है! बौद्ध धर्म पर एक बड़ा झूठ फैलाया गया है कि “बुद्ध पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते थे।” यह दावा न केवल त्रुटिपूर्ण है बल्कि बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का मज़ाक उड़ाता है। और जो लोग इस झूठ को सबसे ज़्यादा फैलाते हैं,

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क्या हिंदू धर्म अनैतिक है? बौद्ध ग्रंथों में क्या लिखा है?

भूमिका: विवाद की पृष्ठभूमि हाल ही में रणवीर अल्लाहबादिया के विवादित बयान को लेकर एक नव-बौद्ध (Neo-Buddhist) यूट्यूबर ने हिंदू धर्म पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि हिंदू धर्म की शिक्षाएँ ही इस तरह की सोच को बढ़ावा देती हैं। अपने तर्क को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने महाभारत में ऋषि पराशर और

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भूत-प्रेत पर क्या कहता है विज्ञान ?

भूत-प्रेत और परलोक का विचार हमेशा से ही एक रहस्य और जिज्ञासा का विषय रहा है। जहां इसे कई लोग मात्र एक काल्पनिक अवधारणा मानते हैं, वहीं आधुनिक विज्ञान और शोध धीरे-धीरे इस दिशा में नई संभावनाओं की ओर इशारा कर रहे हैं। क्या यह संभव है कि भूत-प्रेत और परलोक जैसी चीजें सिर्फ मिथक

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मिथ्या प्रपंच का अंत: मित्तानी शिलालेख, वैदिक संस्कृति की प्राचीनता और संस्कृत विरोधियों की पोल खोल

प्रस्तावना: वैदिक संस्कृति पर षड्यंत्र क्यों? आज हम इतिहास के सबसे बड़े बौद्धिक षड्यंत्रों में से एक का पर्दाफाश करने जा रहे हैं—वह झूठ जो कहता है कि: ❌ संस्कृत 1000 ईस्वी के बाद बनी भाषा है!❌ वेदों की रचना मध्यकाल में हुई, वे प्राचीन नहीं हैं!❌ संस्कृत तब तक नहीं हो सकती जब तक

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प्रयाग: बौद्ध स्थल या सनातन तीर्थ? महाकुंभ को अंधविश्वास बताने वालों की साजिश का पर्दाफाश

भूमिका: कैसे पाखंडी बुद्धिजीवी प्रयाग और कुंभ स्नान को बदनाम कर रहे हैं? आजकल कुछ तथाकथित ‘बुद्धिजीवी’ प्रयागराज (प्रयाग) को बौद्ध स्थल बताने की कोशिश कर रहे हैं और महाकुंभ स्नान को अंधविश्वास करार दे रहे हैं। ये वही लोग हैं जो सनातन संस्कृति और परंपराओं पर झूठ फैलाते हैं, बिना किसी ऐतिहासिक प्रमाण के।

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क्या हिन्दुओं ने सरस्वती को बौद्धों से चुराया है ?

भूमिका: क्या तथाकथित “बुद्धिजीवी” सच बोल रहे हैं? आजकल कुछ तथाकथित “बुद्धिजीवी” और “नव-बौद्ध” यह दावा करते हैं कि वेदों में सरस्वती केवल एक नदी थी और हिंदुओं ने बाद में इसे देवी के रूप में बौद्ध धर्म से “चुरा” लिया। क्या यह सच है? या फिर यह इतिहास को तोड़-मरोड़कर हिंदू परंपरा पर झूठा

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