1-1-2: जन्माद्यस्य यत:
अस्य = इस जगत् के; जन्मादि = जन्म आदि (उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय); यत: = जिससे (होते हैं, वह ब्रह्म है)| व्याख्या: जिस ब्रह्म की पहले सूत्र में जिज्ञासा की गयी है उसके बारे में बताते हैं| संसार की सृष्टि, उसकी स्थिति और उसका प्रलय ब्रह्म से ही होता है | इस विषय में तैत्तिरीय […]