पाद 1

वेदांत दर्शन (ब्रह्म सूत्र ) अध्याय 1 – पाद 1

janmadyaysa yatah

1-1-2: जन्माद्यस्य यत:

अस्य = इस जगत् के;  जन्मादि = जन्म आदि (उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय); यत: = जिससे (होते हैं, वह ब्रह्म है)| व्याख्या: जिस ब्रह्म की पहले सूत्र में जिज्ञासा की गयी है उसके बारे में बताते हैं| संसार की सृष्टि, उसकी स्थिति और उसका प्रलय ब्रह्म से ही होता है | इस विषय में तैत्तिरीय […]

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Athato Brahm Jijnasa

1-1-1: अथातो ब्रह्मजिज्ञासा ||

अथ = अब; अतः = यहाँसे; ब्रह्म जिज्ञासा = ब्रह्म विषयक विचार (आरंभ किया जाता है )| व्याख्या: प्रिय शास्त्र प्रेमियों! आज से हम एक ऐसी यात्रा प्रारंभ कर रहे हैं, जो बहुत ही गंभीर है | वैदिक धर्म में छह प्रमुख दर्शन शास्त्र कहे गये हैं: १. जैमिनी की पूर्व मीमांसा २. कणाद का

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