कौन अधिक प्राचीन है: हिंदू धर्म या बौद्ध धर्म?

त्रिपिटक के प्रमाणों से साजिश का पर्दाफाश

आज के समय में कुछ प्लेटफ़ॉर्म्स और चैनल्स ने यह दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया है कि हिंदू धर्म 9वीं या 10वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया और इससे पहले केवल बौद्ध धर्म था। इस प्रकार की बातें न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती हैं, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा प्रतीत होती हैं। बौद्ध धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ त्रिपिटक (जिसमें सुत्त पिटक, विनय पिटक, और अभिधम्म पिटक शामिल हैं) का अध्ययन करने पर इन दावों की पोल खुल जाती है।

इस लेख में, हम त्रिपिटक से ऐसे पाँच प्रमाण प्रस्तुत करेंगे, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाते हैं कि हिंदू धर्म बौद्ध धर्म से कहीं अधिक प्राचीन है। साथ ही, इन प्रमाणों को आप खुद सत्यापित कर सकें, इसके लिए संबंधित ग्रंथों की मुफ्त पीडीएफ भी लेख के अंत में उपलब्ध कराई जाएगी।

इस विषय पर हमने इस वीडियो में चर्चा की है, आप चाहें तो इसे भी देख सकते हैं –

बौद्ध धर्म के अस्तित्व से पहले हिंदू धर्म का प्रभाव

बौद्ध धर्म की स्थापना 5वीं-6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान भगवान बुद्ध द्वारा की गई मानी जाती है। लेकिन बौद्ध ग्रंथों में कई जगह ऐसा उल्लेख मिलता है, जो यह प्रमाणित करता है कि भगवान बुद्ध स्वयं उस समाज में जन्मे थे, जहाँ पहले से ही वैदिक परंपरा, यज्ञ, और वेदों का प्रभाव था। यहाँ तक कि त्रिपिटक में भी हिंदू धर्म और उसके मूल तत्वों का उल्लेख मिलता है।

साजिश का मकसद क्या है?

कुछ चैनल्स और विचारधाराएँ जानबूझकर यह दावा करती हैं कि हिंदू धर्म नया है, जबकि बौद्ध धर्म प्राचीन। इस साजिश का उद्देश्य है:

  • भारतीय संस्कृति और उसकी जड़ों को कमजोर करना।
  • लोगों को अपनी सभ्यता पर गर्व महसूस करने से रोकना।
  • समाज को धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर विभाजित करना।

त्रिपिटक से पहला प्रमाण

पहला प्रमाण सुत्त पिटक के अंतर्गत आये दीघ निकाय अंतर्गत तेविज्ज सुत्त से है | इस में साफ़ शब्दों में ऐतरेय ब्राह्मण, तैत्तिरीय ब्राह्मण, छान्दोग्य ब्राह्मण का नाम आया है | ये तीनों क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के अंग हैं | इसमें बह्वृच ब्राह्मण का भी उल्लेख है जो ऋग्वेद का हिस्सा है | द्रष्टव्य है कि इन्ही नामों से उपनिषद् भी उपलब्ध हैं |

दीघ निकाय पर दो खण्डों में श्री द्वारिकादास शास्त्री का अनुवाद उपलब्ध होता है | उसके पहले खंड के पृष्ठ 244 से यह देखिये प्रमाण –

Deegh Nikaya translated by Dwarikadas Shastri mentions Vedic Scriptures and Sages like Vishwamitra, Vashishth, Bhrigu etc
Deegh Nikaya translated by Dwarikadas Shastri mentions Vedic Scriptures and Sages like Vishwamitra, Vashishth, Bhrigu etc

कई सारे वैदिक ऋषियों जैसे की जमदग्नि, विश्वामित्र, वसिष्ठ, भृगु आदि का भी नाम आया है | यहाँ त्रैविद्य वेद मन्त्रों के कर्त्ता ब्राह्मणों का भी निर्देश है | त्रैविद्य अर्थात ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद जैसा की ऊपर के ब्राह्मणों के बारे में बताया गया है |

त्रैविद्या शब्द गीता के नवम अध्याय में भी तीन वेदों के अर्थ में आया है, यथा –

Traividya word in Bhagavad Gita, translated by Swami Ramsukhdasji Sadhak Sanjeevani

इससे वेद और वैदिक धर्म का बौद्ध धर्म से पूर्ववर्ती होना सिद्ध होता है !

महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने भी प्रायः यही अर्थ किया है | देखिये उनके दीघ निकाय के अनुवाद से प्रमाण – पृष्ठ 87

Deegh Nikaya translated by Rahul Sankrityayan mentions Vedic Scriptures and Sages like Vishwamitra, Vashishth, Bhrigu etc
Deegh Nikaya translated by Rahul Sankrityayan mentions Vedic Scriptures and Sages like Vishwamitra, Vashishth, Bhrigu etc

त्रिपिटक से दूसरा प्रमाण

अगला प्रमाण सुत्त पिटक अंतर्गत मज्झिम निकाय के मधुर सुत्त से है | इसमें ब्राह्मणों को ब्रह्मा के मुख से निकला बताया गया है | ऋग्वेद में यह बात आयी है |

ब्रा॒ह्म॒णो॑ऽस्य॒ मुख॑मासीद्बा॒हू रा॑ज॒न्य॑: कृ॒तः । ऊ॒रू तद॑स्य॒ यद्वैश्य॑: प॒द्भ्यां शू॒द्रो अ॑जायत ॥
ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:90» मन्त्र:12


मज्झिम निकाय पर श्री द्वारिकादास शास्त्री का चार खण्डों में अनुवाद मिलता है | उसके चौथे खंड में यह मधुर सुत्त आया है | उसके पृष्ठ 1104 से यह प्रमाण-

Madhur Sutt from Majjhim Nikaya translated by Dwarikadas Shastri in vol 4 mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra
Madhur Sutt from Majjhim Nikaya translated by Dwarikadas Shastri in vol 4 mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra
Madhur Sutt from Majjhim Nikaya translated by Dwarikadas Shastri in vol 4 mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra

यहाँ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र का भी स्पष्ट उल्लेख आया है | छद्म बुद्धिजीवी जो ब्राह्मण और क्षत्रिय का अर्थ बम्हन और खेती करने वाले खत्तिय करते थे उनका अर्थ कितना गलत है ये इससे स्पष्ट होता है |

महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने भी प्रायः यही अर्थ किया है | देखिये उनके मज्झिम निकाय के अनुवाद से प्रमाण – पृष्ठ 343

Madhur Sutt from Majjhim Nikaya translated by Rahul Sankrityayan mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra

इससे भी ब्राह्मण धर्म का बौद्ध धर्म से प्राचीन होना सिद्ध होता है |

त्रिपिटक से तीसरा प्रमाण

इसी मज्झिम निकाय में कण्णकत्थल सुत्त भी आया है | वहाँ साफ़ शब्दों में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र का उल्लेख आया है | देखिये द्वारिकादास शास्त्री कृत अनुवाद के चौथे खंड के पृष्ठ 1195 से प्रमाण –

Kannakatthal Sutt from Majjhim Nikaya translated by Dwarikadas Shastri in vol 4 mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra
Kannakatthal Sutt from Majjhim Nikaya translated by Dwarikadas Shastri in vol 4 mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra
Kannakatthal Sutt from Majjhim Nikaya translated by Dwarikadas Shastri in vol 4 mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra

महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने भी प्रायः यही अर्थ किया है | देखिये उनके मज्झिम निकाय के अनुवाद से प्रमाण – पृष्ठ 401

Kannakatthal Sutt from Majjhim Nikaya translated by Rahul Sankrityayan mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra
Kannakatthal Sutt from Majjhim Nikaya translated by Rahul Sankrityayan mentions four varnas Brahmana, Kshatriya, Vaishya, Shudra

त्रिपिटक से चौथा प्रमाण

सुत्त पिटक के खुद्दक निकाय के अंतर्गत सुत्त निपात आता है | इसकी प्राचीनता इससे सिद्ध होती है कि इसमें आये कुछ सुत्तों के नाम अशोक के भाब्रू शिलालेख में भी प्राप्त होता है |

Ashok ke Abhilekh by Dr Rajbali Pandey

देखिये सुत्त निपात पर भिक्षु धर्मरक्षित जी के अनुवाद में वह क्या लिखते हैं –

Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita mentions the anciency of Sutta Nipata
Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita mentions the anciency of Sutta Nipat

यह हमने सुत्त निपात की प्राचीनता आपको बतायी | इसके दूसरे वर्ग – चूलवग्ग में पृष्ठ 72 पर यह ब्राह्मणधाम्मिक सुत्त आया है | इसमें साफ़ शब्दों में ब्राह्मण धर्म कहा गया है | इसमें अश्वमेध, पुरुषमेध और वाजपेय यज्ञ का वर्णन है जो वैदिक धर्म का अभिन्न अंग हैं |

Brahman Dhammik Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita talks of Brahman Dharm
Brahman Dhammik Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita talks of Brahman Dharm and Vajpey, Ashwamed yagya etc
Brahman Dhammik Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita talks of Brahman Dharm and Vajpey, Ashwamed yagya etc

इससे भी वैदिक धर्म की बौद्ध धर्म से प्राचीनता प्रमाणित होती है |

त्रिपिटक से पाँचवाँ प्रमाण

इसी सुत्त निपात में चौथे वर्ग – अट्ठक वर्ग में पृष्ठ 232 पर यह चूलव्यूह सुत्त आया है | यहाँ भगवान् बुद्ध साफ़ शब्दों में दूसरे के धर्म को आदर देने की बात करते हैं जिससे बौद्ध धर्म के अतिरिक्त भी किसी धर्म (वैदिक धर्म) का होना सिद्ध होता है |

Chool Viyuh Sutta from Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita talks of other dharma
Chool Viyuh Sutta from Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshita talks of other dharma

भीमराव आंबेडकर जी के सम्पूर्ण वाङ्मय में बाईसवाँ खंड ‘बुद्ध और उनका धम्म‘ नामक ग्रन्थ है जो उनकी बहुचर्चित पुस्तक है | इसके पृष्ठ में उन्होंने साफ़ लिखा है कि सब्बमित्त ने सिद्धार्थ गौतम को वेद, उपनिषदों की शिक्षा दिलवाई | यह उनके दूसरे आचार्य थे –

B R Ambedkar in Buddha and His Dhamma talks about Buddha reading Upanishads and Vedas

इससे भी बौद्ध धर्म से प्राचीन अन्य धर्म (वैदिक धर्म) का होना सिद्ध होता है |

मुफ्त पीडीएफ: सच्चाई को खुद जानें

हम इस लेख के साथ उन प्राचीन ग्रंथों की मुफ्त पीडीएफ साझा कर रहे हैं, जिनसे आप ऊपर दिए गए प्रमाणों को खुद सत्यापित कर सकते हैं। ये पीडीएफ निम्नलिखित ग्रंथों की हैं:

  1. सुत्त पिटक के दीघ निकाय अंतर्गत तेविज्ज सुत्त है जो द्वारिकादास शास्त्री कृत दीघ निकाय के पहले खंड में आया है | इसे आप यहाँ से डाऊनलोड करें –
Digha nikaya translated by Dwarikadas Shastri

2. दीघ निकाय पर महापंडित राहुल सांकृत्यायन का अनुवाद

Digha nikaya translated by Rahul Sankrityayan

3. सुत्त पिटक के मज्झिम निकाय अंतर्गत जो मधुरसुत्त आया है वह द्वारिकादास शास्त्री कृत मज्झिम निकाय के अनुवाद के चौथे खण्ड में आया है |

Majjhim nikaya translated by Dwarikadas Shastri

4. मज्झिम निकाय पर महापंडित राहुल सांकृत्यायन का अनुवाद

Majjhim nikaya translated by Rahul Sankrityayan

5. सुत्त निपात पर भिक्षु धर्मरक्षित का अनुवाद

Sutta Nipat translated by Bhikshu Dharm Rakshit

6. अशोक के अभिलेख – राजबली पांडेय

Ashok Ke Abhilekh by Dr Rajbali Pandey

7. भीम राव आंबेडकर का बुद्ध और उनका धम्म

Buddha and His Dhamma by Dr B R Ambedkar

8. त्रिपिटक ग्रन्थ

Tripitaka - Hindi Translations

9. भीम राव आंबेडकर का सम्पूर्ण वाङ्मय

Complete works of Dr B R Ambedkar

10. भगवद्गीता पर विविध टीकाएँ

निष्कर्ष

यह स्पष्ट है कि बौद्ध धर्म अपने अस्तित्व के लिए वैदिक परंपराओं और हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है। त्रिपिटक के प्रमाण हमें सिखाते हैं कि सच्चाई को समझने के लिए गहराई से अध्ययन करना और प्राचीन ग्रंथों को पढ़ना जरूरी है, जिससे कि छद्म बुद्धिजीवी बचते हैं।

ऐसे समय में, जब कुछ लोग अपने एजेंडे के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सत्य को जाने और दूसरों तक पहुँचाएँ।

मुफ्त पीडीएफ डाउनलोड करें, पढ़ें, और सच्चाई को समझें!

परिशिष्ट

इस विषय में यह लेख भी पढ़ें – क्या सनातन धर्म सनातन नहीं है ? : एक शास्त्रीय प्रतिवाद

अगर आप वीडियो देखना पसंद करते हैं , तो इस पर हमारा यह यूट्यूब वीडियो भी देख सकते हैं –