मिथ्या प्रपंच का अंत: मित्तानी शिलालेख, वैदिक संस्कृति की प्राचीनता और संस्कृत विरोधियों की पोल खोल

प्रस्तावना: वैदिक संस्कृति पर षड्यंत्र क्यों?

आज हम इतिहास के सबसे बड़े बौद्धिक षड्यंत्रों में से एक का पर्दाफाश करने जा रहे हैं—वह झूठ जो कहता है कि:

संस्कृत 1000 ईस्वी के बाद बनी भाषा है!
वेदों की रचना मध्यकाल में हुई, वे प्राचीन नहीं हैं!
संस्कृत तब तक नहीं हो सकती जब तक देवनागरी लिपि नहीं थी!
इंद्र और अन्य वैदिक देवता बौद्ध धर्म से आए!

👉 यह वे झूठे तर्क हैं जो नव-बौद्ध प्रचारकों, औपनिवेशिक मानसिकता के इतिहासकारों और वामपंथी बुद्धिजीवियों द्वारा बार-बार फैलाए जाते हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य है—हिंदू धर्म, वेदों और संस्कृत की प्राचीनता को झूठा साबित करना।

लेकिन अब इन झूठों की विदाई का समय आ गया है।

👉 मित्तानी शिलालेख (Mitanni Inscriptions) इन झूठों को पूरी तरह से ध्वस्त कर देते हैं, क्योंकि यह वैदिक देवताओं (मित्र, वरुण, इंद्र, नासत्य) और संस्कृत जैसी भाषा के प्रमाण 1400 ईसा पूर्व में देते हैं।

👉 3400 साल पहले, जब यूरोप के लोग गुफाओं में रहते थे, तब भारतीय संस्कृति इतनी उन्नत थी कि उसके प्रभाव मित्तानी साम्राज्य (आधुनिक सीरिया-इराक) तक पहुँच चुके थे!

अब आइए, इन अखंड प्रमाणों का विस्तृत विश्लेषण करें और इन झूठों को जड़ से उखाड़ फेंके

📜 1. मित्तानी शिलालेख क्या हैं और वेदों से उनका क्या संबंध है?

➡️ मित्तानी साम्राज्य लगभग 1500-1300 ईसा पूर्व में मध्य एशिया और आधुनिक सीरिया-इराक क्षेत्र में स्थित था। यह साम्राज्य हुर्रियान भाषा बोलने वाले लोगों द्वारा शासित था, लेकिन उनके राजा और अभिजात्य वर्ग इंडो-आर्यन मूल के थे।

➡️ सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण 1380 ईसा पूर्व का “मित्तानी-हित्ती संधि-पत्र” है, जिसमें निम्नलिखित देवताओं को साक्षी के रूप में बुलाया गया है:

  • मित्र (Mitra) – सत्य और संधि के देवता
  • वरुण (Varuna) – न्याय और जल के देवता
  • इंद्र (Indra) – योद्धाओं और आकाश के देवता
  • नासत्य (Nasatya) – अश्विन जुड़वाँ देवता

➡️ ये चारों देवता वैदिक धर्म के मूल स्तंभ हैं और ऋग्वेद में बार-बार इनका उल्लेख मिलता है।

👉 तो क्या यह संभव है कि 1400 ईसा पूर्व में वेदों का अस्तित्व ही न हो, लेकिन उनके देवता मित्तानी साम्राज्य में पूजे जाएँ?

🚨 यह असंभव है! यह इस बात का प्रमाण है कि वैदिक परंपरा 1400 ईसा पूर्व से भी बहुत पहले अस्तित्व में थी।

📜 2. संस्कृत जैसी भाषा के प्रमाण 1400 ईसा पूर्व में!

मित्तानी साम्राज्य में संस्कृत जैसी भाषा के कई प्रमाण मिलते हैं, खासकर किकुली घोड़ा-प्रशिक्षण मैनुअल (Kikkuli Horse Training Manual, 1400 BCE) में। इसमें निम्नलिखित शब्द पाए गए हैं:

  • एक (aika) – एक (संस्कृत: एक)
  • त्रि (tera) – तीन (संस्कृत: त्रि)
  • पंज (panza) – पाँच (संस्कृत: पंच)
  • सप्त (satta) – सात (संस्कृत: सप्त)
  • नव (nava) – नौ (संस्कृत: नव)
  • वर्तन (vartana) – चक्र/घूमना (संस्कृत: वर्तन)

👉 यदि संस्कृत की उत्पत्ति केवल 1000 ईस्वी के बाद हुई होती, तो 1400 ईसा पूर्व ये शब्द मित्तानी साम्राज्य में कैसे पाए गए?

🚨 यह स्पष्ट रूप से सिद्ध करता है कि संस्कृत 1400 ईसा पूर्व से भी पुरानी है।

📜 3. नव-बौद्धों का झूठ: इंद्र को बौद्ध धर्म से जोड़ने का प्रयास

🚨 नव-बौद्ध और हिंदू-विरोधी प्रचारक एक नया झूठ फैलाते हैं कि “इंद्र एक बौद्ध देवता था और वैदिक धर्म ने इसे कॉपी किया।”

👉 लेकिन यह कितना हास्यास्पद है?

  • बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में हुआ था।
  • मित्तानी साम्राज्य और उनके शिलालेख 1400 ईसा पूर्व के हैं – यानी बुद्ध से लगभग 800 साल पहले!
  • ऋग्वेद में इंद्र का उल्लेख पहले से मौजूद था, जो कम से कम 2000 ईसा पूर्व या उससे भी पुराना है।

🚨 इससे साफ सिद्ध होता है कि नव-बौद्धों का यह दावा झूठा है और बौद्ध धर्म से पहले ही वैदिक देवताओं का अस्तित्व था।

📜 4. निष्कर्ष: मित्तानी शिलालेख वेदों और संस्कृत की प्राचीनता को सिद्ध करते हैं

संस्कृत 1000 ईस्वी के बाद नहीं बनी, बल्कि 1400 ईसा पूर्व से भी पुरानी है।
आर्य बाहर से नहीं आए, बल्कि वैदिक संस्कृति भारत से मित्तानी तक फैली।
संस्कृत देवनागरी लिपि से बहुत पुरानी है और पहले अन्य लिपियों में लिखी जाती थी।
इंद्र वैदिक देवता था, बुद्ध के जन्म से 800 साल पहले।

🚨 अब समय आ गया है कि हम इन ऐतिहासिक झूठों का पर्दाफाश करें और अपने गौरवशाली अतीत को पुनः स्थापित करें! 🚨

📜 परिशिष्ट (Appendix): महत्वपूर्ण संदर्भ और स्रोत

  1. मित्तानी शिलालेखों पर मूल शोध-पत्र:
  2. प्राचीन संस्कृत और वेदों की प्राचीनता पर शोध:
    • Arnaud Fournet: About the Mitanni-Aryan Gods 📄 Link

🚀 यह लेख उन सभी लोगों के लिए एक हथियार है, जो हिंदू धर्म और वैदिक परंपराओं के ख़िलाफ़ झूठ फैलाते हैं। इसे ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें और सच को दुनिया तक पहुँचाएँ! 🚀